महारस वर्ग-
अभ्रवैक्रान्तमाक्षिकविमलाद्रिजसस्यकम्।
चपलोरसकश्चेतिज्ञात्वाऽष्टौ सङ्ग्रहेद्रसान्।।
(र. र. स. 2/1)
1. अभ्रक
2. वैक्रान्त
3. माक्षिक
4. विमल
5. शिलाजतु (अद्रिज)
6. सस्यक
7. चपल
8. रसक
उपरस वर्ग -
गन्धाश्मगैरिकासीसकाङ्क्षीतालशिलाञ्जनम्।
कङ्कुष्ठं चेतिपरसाश्चाष्टौ पारदकर्मणि।। (र. र. स. 3/1)
1. गन्धक
2. गैरिक
3. कासीस
4. फिटकरी
5. हरताल
6. मनःशिला
7. अञ्जन
8. कंकुष्ठ
साधारण रस वर्ग-
कम्पिल्लश्चापरो गौरीपाषाण नवसारकः। कपर्दो वह्निजारश्च गिरिसिन्दूर हिङ्गुलौ।।
मृद्दारश्रृंङ्गमित्यष्टौ साधारणरसाः स्मृताः ।।
(र. र. स. 3/126-127)
अभ्रवैक्रान्तमाक्षिकविमलाद्रिजसस्यकम्।
चपलोरसकश्चेतिज्ञात्वाऽष्टौ सङ्ग्रहेद्रसान्।।
(र. र. स. 2/1)
1. अभ्रक
2. वैक्रान्त
3. माक्षिक
4. विमल
5. शिलाजतु (अद्रिज)
6. सस्यक
7. चपल
8. रसक
उपरस वर्ग -
गन्धाश्मगैरिकासीसकाङ्क्षीतालशिलाञ्जनम्।
कङ्कुष्ठं चेतिपरसाश्चाष्टौ पारदकर्मणि।। (र. र. स. 3/1)
1. गन्धक
2. गैरिक
3. कासीस
4. फिटकरी
5. हरताल
6. मनःशिला
7. अञ्जन
8. कंकुष्ठ
साधारण रस वर्ग-
कम्पिल्लश्चापरो गौरीपाषाण नवसारकः। कपर्दो वह्निजारश्च गिरिसिन्दूर हिङ्गुलौ।।
मृद्दारश्रृंङ्गमित्यष्टौ साधारणरसाः स्मृताः ।।
(र. र. स. 3/126-127)
1. कम्पिल्लक
2. गौरीपाषाण
3. नवसादर
4. कपर्द
5. अग्निजार
6. गिरिसिन्दूर
7. हिंगुल
8. मुर्दाशंख
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